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शताब्दी
( आकाशवाणी, पांडिचेरी से प्रसारित सन्देश)
आज श्रीअरविन्द के शताब्दी-वर्ष का पहला दिन है । यद्यपि उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया है, फिर भी वे हमारे साथ हैं-जीवित और सक्रिय ।
श्रीअरविन्द भविष्य के हैं; वे भविष्य के सन्देशवाहक हैं । वे अब भी हमें ' भागवत संकल्प ' द्वारा निर्मित उज्ज्वल भविष्य को जल्दी चरितार्थ करने के लिए जिस राह का अनुसरण करना चाहिये वह दिखलाते हैं ।
जो मानवजाति की प्रगति और भारत की ज्योतिर्मयी नियति के लिए सहयोग देना चाहते हैं, उन सबको भविष्यदर्शी अभीप्सा और प्रबुद्ध कार्य के लिए मिलकर काम करना चाहिये ।
१५ अगस्त, १९७१
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जिन लोगों का माताजी के साध सम्बन्ध वे श्रीअरविन्द की जन्म- को अच्छे- से- अच्छी तरह कैसे मना सकते है ?
अभीप्सा करो और अपने प्रयास मे सच्चे और आग्रही बनो ।
सामान्य लोग की जन्म- को अच्छे- से-अच्छी तरह मना सकते है ?
समझदारी और मेल-मिलाप मे प्रगति करने का प्रयास करके ।
१४ सितम्बर, १९७१
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श्रीअरविन्द की चेतना के प्रति खुलो ओर उसे अपने जीवन को रूपान्तरित करने दो ।
२६ सितम्बर १९७१
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श्रीअरविन्द हमेशा उपस्थित है ।
सच्चे, निष्कपट और निष्ठावान् बनो । यह पहली शर्त हे । आशीर्वाद ।
२९ सितम्बर, १९७१
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(''श्रीअरविन्द और मानव एकता'' पर ५ से ९ दिसम्बर १९७२ तक मे दिल्ली में हुआ अंतरराष्ट्रीय सोमिनार के लिए दिया गया सन्देश )
हम अतिमानसिक जाति के आगमन की तैयारी करके हीं श्रीअरविन्द को सर्वोत्तम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं ।
नवम्बर, १९७२
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श्रीअरविन्द जगत् को उस भविष्य के सौन्दर्य के बारे मे बतलाने आये थे जिसे चरितार्थ होना हो है ।
वे उस भव्यता की आशा नहीं, निश्चिति देने आये थे जिसकी ओर जगत् बढ़ रहा है । जगत् एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना नहीं है, यह एक ऐसा अम्मा है जो अपनी अभिव्यक्ति की ओर गति कर रहा है ।
जगत् के भविष्य के सोन्दय की निश्चिति की जरूरत है । और श्रीअरविन्द ने यह आश्वासन दिया है ।
२७ नवम्बर, १९७१
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१५ श्रीअरविन्द हमें यह बताने आये थे कि 'तुझे ' किस तरह पायें और किस तरह ' तेरी ' सेवा करें ।
वर दे कि उनके इस शताब्दी-वर्ष मे हम उनकी शिक्षा को सचमुच समझ सकें और पूरी सचाई के साथ उसे कार्यान्वित करें ।
६ दिसम्बर १९७१
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लाल कमल श्रीअरविन्द का फूल हे, लेकिन उनकी शताब्दी के लिए हम विशेष रूप से नील कमल को चुनेगा जो उनके जोति प्रभामण्डल का रंग है, जो धरती पर परम पुरुष की अभिव्यक्ति की शताब्दी का प्रतीक होगा ।
२१ दिसम्बर, १९७१
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श्रीअरविन्द ने अपना जीवन दे दिया ताकि हम 'भागवत चेतना' मे जन्म ले सकें ।
२४ दिसम्बर ,१९७१
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१९७२
नया वर्ष शुभ हो
यह वर्ष श्रीअरविन्द को निवेदित है ।
श्रीअरविन्द धरती पर जो प्रकाश, ज्ञान और शक्ति इतनी उदारता के साथ लेकर आये हैं उस सबके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकाशित करने के लिए सबसे अच्छा उपाय हे कि हम उनकी शिक्षा को अच्छी तरह समझने और उसे कार्यान्वित करने की कोशिश करें ।
उनकी शिक्षा हमें प्रकाश दे और हमारा मार्ग-दर्शन करे, आज हम जिस चीज
को नहीं कर पाते, उसे निश्चय
हो कल कर लेंगे । १६ आओ, हम पूरी सचाई और निष्कपटता के साथ उचित मनोभाव अपनायें, तब यह सचमुच शुभ वर्ष होगा ।
३१ दिसम्बर, १९७१
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भगवान् के बिना हम सीमित, अक्षम और असहाय प्राणी हैं; भगवान् के साथ यदि हम अपने- आपको पूरी तरह उन्हें समर्पित कर सकें, तो सब कुछ सम्भव हैं ओर हमारी प्रगति असीम होगी।
श्रीअरविन्द के शताब्दी-वर्ष के लिए एक विशेष सहायता धरती पर आयी हे; आओ, अहंकार पर विजय प्राप्त करने और प्रकाश मे उभर आने के लिए हम इसका लाभ उठायें ।
शुभ वर्ष ।
१ जनवरी, १९७२
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श्रीअरविन्द किसी एक देश के नहीं, सारी पृथ्वी के हैं । उनकी शिक्षा हमें ज्यादा अच्छे भविष्य की ओर ले जाती है ।
१ जनवरी,१९७२
जब श्रीअरविन्द ने अपना शरीर त्यागा तो उन्होंने कहा था कि वे हमें छोड़ न देंगे । और, सचमुच इन इक्कीस वर्षों के दौरान, वे हमेशा हमारे साथ रहे हैं और जो उनके प्रभाव के प्रति ग्रहणशील और खुले हुए हैं उन्हें रास्ता दिखाते और उनकी सहायता करते रहे हैं ।
उनके इस शताब्दी-वर्ष मे उनकी सहायता और भी सशक्त होगी । यह हम पर निर्भर है कि हम और अधिक खुले और जानें कि इससे लाभ कैसे उठाना है । भविष्य उनके लिए है जिनमें एक वीर की अन्तरात्मा है । हमारी श्रद्धा जितनी अधिक अडिग और सच्ची होगी, आने वाली सहायता भी उतनी ही सशक्त और प्रभावकारी होगी ।
२ जनवरी १९७२
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१७ श्रीअरविन्द धरती पर अतिमानसिक जगत् की अभिव्यक्ति की घोषणा करने आये थे और उन्होंने इस अभिव्यक्ति की घोषणा ही नहीं की बल्कि अंशत: अतिमानसिक शक्ति को मूर्त रूप भी दिया और अपने उदाहरण से दिखलाया कि उसे अभिव्यक्त करने के लिए हमें कैसे तैयारी करनी चाहिये । हम सर्वोत्तम चीज यही कर सकते हैं कि उन्होंने जो कुछ बतलाया है उसका अध्ययन करें और उनके उदाहरण का अनुसरण करने की कोशिश करें और अपने- आपको नयी अभिव्यक्ति के लिए तैयार करें ।
यह चीज जीवन को उसका असली अर्थ प्रदान करती है और हमें सभी बाधाओं पर विजय पाने मे सहायता देगी ।
आओ, हम नूतन सृष्टि के लिए जियें और हम युवा एवं प्रगतिशील रहते हुए अधिकाधिक बलवान् बनेंगे ।
३० जनवरी, १९७२
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आश्रम के शाररिक शिक्षण विभाग की १९७२ की प्रतियोगिता के लिए सन्देश)
आओ, इस वर्ष, हम अपनी शरीर-सम्बन्धी समस्त गतिविधियां श्रीअरविन्द को निवेदित और समर्पित कर दें ।
१ अप्रैल १९७२
( ' श्रीअरविन्द- ए गालैंड ऑफ ट्रिन्दुट्स ' नामक पुस्तक के लिए सन्देश)
श्रीअरविन्द परम पुरुष से आयी एक विभूति हैं जो धरती पर एक नयी जाति और एक नये जगत् की अभिव्यक्ति की घोषणा करने आये थे, वह है : अतिमानसिक ।
आओ, हम पूरी सच्चाई और लगन के साथ उसके लिए तैयारी करें ।
२० जून, १९७२
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१८
श्रीअरविन्द ने हमें वह आध्यात्मिक शिक्षा दी है जो हमें भगवान् के सीधे सम्पर्क में आना सिखाती है ।
जुलाई, १९७२
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श्रीअरविन्द हमें शानदार भविष्य की ओर जाने का मार्ग दिखाते हैं ।
अगस्त, १९७२
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(दर्शन सन्देश)
श्रीअरविन्द का सन्देश भविष्य पर विकारित होता हुआ अमर सूर्यालोक है ।
१५ अगस्त, १९७२
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श्रीअरविन्द परम पुरुष के यहां से धरती पर एक नयी जाति और एक नये जगत् की अभिव्यक्ति की घोषणा करने आये थे, और वह है : अतिमानसिक ।
आओ, हम पूरी सच्चाई और लगन के साथ उसके लिए तैयारी करें ।
१५ अगस्त, १९७२
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मनुष्य बीते कल की सृष्टि हे ।
श्रीअरविन्द घोषणा करने आये थे आगामी कल की सृष्टि की : अतिमानसिक सत्ता के आगमन की ।
१५ अगस्त, १९७२
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उनकी शताब्दी के अवसर पर हम श्रीअरविन्द को सर्वोत्तम श्रद्धांजलि यही दे सकते हैं कि हमारे अन्दर प्रगति के लिए प्यास हो ओर हम अपनी सारी
२० सत्ता को उस ' भागवत प्रभाव ' के प्रति खोल दें जिसके श्रीअरविन्द पृथ्वी पर 'सन्देशवाहक ' हैं।
१५ अगस्त,१९७२
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१५-८-७२
'शाश्वत' की ओर एक और कदम ।
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